Ratan Tata Daily Routine | Success Story | Hindi
टाटा ग्रुप के पूर्व सीईओ और चेयरमैन रतन टाटा के दिन की शुरुआत सुबह 6:00 बजे होती है. वह सुबह उठने के बाद सबसे पहले अपने डॉगी टीटो के साथ मॉर्निंग वॉक पर जाना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. दोस्तों शायद आपको पता ना हो कि रतन टाटा एक एनिमल लवर है, और वह अपने डॉगी टीटू को अपना बेस्ट फ्रेंड मानते हैं. मॉर्निंग वॉक के बाद वह अपना ईमेल चेक करना और मीटिंग शेड्यूलिंग से रिलेटेड काम स्टार्ट कर देते हैं.
दोस्तों आज हम रतन टाटा की जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी घटनाओं को बताएंगे जिससे आपको पता चल जाएगा की रतन टाटा वाकई में बहुत ही सरल जीवन जीते हैं. और उनकी दिनचर्या भी उतनी ही सीधी और सरल है. दोस्तों एक बार की बात है जब जर्मनी में रतन टाटा अपने कुछ करीबी दोस्तों के साथ एक रेस्ट्रॉन्ट में खाना खाने गए, खाना खाने के बाद जब वे बिल पे करके जाने लगे. उसी समय वहां बैठे एक अन्य व्यक्ति उन पर चिल्लाने लगा, उस कस्टमर के चिल्लाने की वजह थी... रतन टाटा और उनकी टीम द्वारा छोड़ा गया वेस्टेज खाना. किसी ने पुलिस को कॉल कर दिया और पुलिस भी पहुंच गई.
पुलिस आई और रतन टाटा पर 50 यूरो का फाइन लगा दिया, और कहा कि आप जितना चाहे खाना ऑर्डर कर सकते हैं, पर उसे वेस्ट नहीं कर सकते क्योंकि यह खाना हमारे देश के लोगों का है. यह सब सुनने के बाद रतन टाटा ने उस पुलिस ऑफिसर को धन्यवाद कहा और फाइन भर दिया. इसके बाद अपने साथियों के साथ अपनी टेबल पर गए और बचा हुआ खाना कंप्लीट किया. दोस्तों अगर रतन टाटा की जगह कोई और होता तो वह फाइन भर कर वहां से चला जाता. पर रतन टाटा ने ऐसा नहीं किया उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और बचा हुआ खाना खत्म किया.
अब बात करते हैं 1998 की जब टाटा ग्रुप ने टाटा इंडिका कार बाजार में निकाली थी. पर यह कार मार्केट में जगह नहीं बना पाई. जिसकी वजह से टाटा ग्रुप को बहुत नुकसान होने लगा. इसीलिए टाटा ग्रुप ने इसे बेचने का निर्णय लिया और रतन टाटा अपनी टीम के साथ फोर्ड के मुख्यालय गए जोकि अमेरिका में स्थित है. फ़ोर्ड कंपनी के साथ रतन टाटा और उनकी टीम की मीटिंग लगभग 3 घंटे चली. फ़ोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने रतन टाटा के साथ बदसलूकी सा व्यवहार किया और कहा जब आपको इस बिजनेस के बारे में कोई जानकारी नहीं है तो फिर आपने इसमें पैसा क्यों लगाया ? हम आपकी कंपनी खरीद कर आप पर एक एहसान कर रहे हैं. यह बात रतन टाटा के दिल में लग गई.
रतन टाटा रातोंरात उस डील को छोड़कर अपने साथियों के साथ वापस चले आए. पर रतन टाटा बिल फोर्ड कि उन बातों को भुला नहीं पा रहे थे. इसके बाद उन्होंने अपनी कंपनी किसी को भी ना बेचने का निर्णय लिया. और अपनी पूरी जी जान लगा कर उन्होंने देखते ही देखते टाटा कार्स का बिजनेस लय मे ले आया और उन्हें फायदा होने लगा. वहीं दूसरी तरफ फ़ोर्ड कंपनी लॉस में चल रही थी. और 2008 के अंत तक दिवालिया होने के कगार पर थी. उस समय रतन टाटा ने फोर्ड के सामने उनकी कंपनी जैगुआर कार और लैंड-रोवर को खरीदने का प्रस्ताव रखा और बदले में अच्छा दाम देने को कहा.
क्योंकि बिल फोर्ड पहले से ही जैगुआर और लैंड-रोवर की वजह से घाटा झेल रहे थे. इसलिए उन्होंने यह प्रस्ताव खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया. बिल फोर्ड उसी तरह अपनी टीम मेंबर के साथ टाटा मुख्यालय पर पहुंचे जिस तरह कभी रतन टाटा अपनी टीम के साथ बिल फोर्ड के मुख्यालय गए थे. मीटिंग में यह तय हुआ कि जैगुआर और लैंड-रोवर ब्रांड 93 हजार करोड़ में टाटा ग्रुप के अधीन होगा. दोस्तों तो कुछ ऐसी है रतन टाटा की जीवन शैली.
Ratan Tata Daily Routine | Success Story | Hindi
टाटा ग्रुप के पूर्व सीईओ और चेयरमैन रतन टाटा के दिन की शुरुआत सुबह 6:00 बजे होती है. वह सुबह उठने के बाद सबसे पहले अपने डॉगी टीटो के साथ मॉर्निंग वॉक पर जाना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. दोस्तों शायद आपको पता ना हो कि रतन टाटा एक एनिमल लवर है, और वह अपने डॉगी टीटू को अपना बेस्ट फ्रेंड मानते हैं. मॉर्निंग वॉक के बाद वह अपना ईमेल चेक करना और मीटिंग शेड्यूलिंग से रिलेटेड काम स्टार्ट कर देते हैं.
दोस्तों आज हम रतन टाटा की जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी घटनाओं को बताएंगे जिससे आपको पता चल जाएगा की रतन टाटा वाकई में बहुत ही सरल जीवन जीते हैं. और उनकी दिनचर्या भी उतनी ही सीधी और सरल है. दोस्तों एक बार की बात है जब जर्मनी में रतन टाटा अपने कुछ करीबी दोस्तों के साथ एक रेस्ट्रॉन्ट में खाना खाने गए, खाना खाने के बाद जब वे बिल पे करके जाने लगे. उसी समय वहां बैठे एक अन्य व्यक्ति उन पर चिल्लाने लगा, उस कस्टमर के चिल्लाने की वजह थी... रतन टाटा और उनकी टीम द्वारा छोड़ा गया वेस्टेज खाना. किसी ने पुलिस को कॉल कर दिया और पुलिस भी पहुंच गई.
पुलिस आई और रतन टाटा पर 50 यूरो का फाइन लगा दिया, और कहा कि आप जितना चाहे खाना ऑर्डर कर सकते हैं, पर उसे वेस्ट नहीं कर सकते क्योंकि यह खाना हमारे देश के लोगों का है. यह सब सुनने के बाद रतन टाटा ने उस पुलिस ऑफिसर को धन्यवाद कहा और फाइन भर दिया. इसके बाद अपने साथियों के साथ अपनी टेबल पर गए और बचा हुआ खाना कंप्लीट किया. दोस्तों अगर रतन टाटा की जगह कोई और होता तो वह फाइन भर कर वहां से चला जाता. पर रतन टाटा ने ऐसा नहीं किया उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और बचा हुआ खाना खत्म किया.
अब बात करते हैं 1998 की जब टाटा ग्रुप ने टाटा इंडिका कार बाजार में निकाली थी. पर यह कार मार्केट में जगह नहीं बना पाई. जिसकी वजह से टाटा ग्रुप को बहुत नुकसान होने लगा. इसीलिए टाटा ग्रुप ने इसे बेचने का निर्णय लिया और रतन टाटा अपनी टीम के साथ फोर्ड के मुख्यालय गए जोकि अमेरिका में स्थित है. फ़ोर्ड कंपनी के साथ रतन टाटा और उनकी टीम की मीटिंग लगभग 3 घंटे चली. फ़ोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने रतन टाटा के साथ बदसलूकी सा व्यवहार किया और कहा जब आपको इस बिजनेस के बारे में कोई जानकारी नहीं है तो फिर आपने इसमें पैसा क्यों लगाया ? हम आपकी कंपनी खरीद कर आप पर एक एहसान कर रहे हैं. यह बात रतन टाटा के दिल में लग गई.
रतन टाटा रातोंरात उस डील को छोड़कर अपने साथियों के साथ वापस चले आए. पर रतन टाटा बिल फोर्ड कि उन बातों को भुला नहीं पा रहे थे. इसके बाद उन्होंने अपनी कंपनी किसी को भी ना बेचने का निर्णय लिया. और अपनी पूरी जी जान लगा कर उन्होंने देखते ही देखते टाटा कार्स का बिजनेस लय मे ले आया और उन्हें फायदा होने लगा. वहीं दूसरी तरफ फ़ोर्ड कंपनी लॉस में चल रही थी. और 2008 के अंत तक दिवालिया होने के कगार पर थी. उस समय रतन टाटा ने फोर्ड के सामने उनकी कंपनी जैगुआर कार और लैंड-रोवर को खरीदने का प्रस्ताव रखा और बदले में अच्छा दाम देने को कहा.
क्योंकि बिल फोर्ड पहले से ही जैगुआर और लैंड-रोवर की वजह से घाटा झेल रहे थे. इसलिए उन्होंने यह प्रस्ताव खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया. बिल फोर्ड उसी तरह अपनी टीम मेंबर के साथ टाटा मुख्यालय पर पहुंचे जिस तरह कभी रतन टाटा अपनी टीम के साथ बिल फोर्ड के मुख्यालय गए थे. मीटिंग में यह तय हुआ कि जैगुआर और लैंड-रोवर ब्रांड 93 हजार करोड़ में टाटा ग्रुप के अधीन होगा. दोस्तों तो कुछ ऐसी है रतन टाटा की जीवन शैली.
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